एक्सक्लूसिव रिपोर्ट: नॉर्थ एमसीडी प्राइवेट एनजीओ पर मेहरबान ,आवेदन पहली बार रिजेक्ट होने पर फटाफट नियम में किया गया संशोधन और अग्रिम स्वीकृति के साथ प्रस्ताव को दी गई हरी झंडी

उत्तरी दिल्ली नगर निगम का झंडेवालान चेस्ट क्लिनिक करोल बाग और कुतुबगढ़ डिस्पेंसरी नरेला जोन की ये 2 संपत्तियां आजकल खूब सुर्खियों में है। इन्ही संपत्तियों से संबंधित एक और चौका देने वाला वाकया सामने आया है।

निगम विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक पहली बार 8 दिसंबर 2021 को इन 2 संपत्तियों को लेकर ईओआई (एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट) फ्लोट किए गए थे।उसमें तीन एनजीओ ने भाग लिया था। जिनका नाम सुमेरमल पटवारी ट्रस्ट ,बद्रीभगत झंडेवालान टेंपल सोसायटी और सेवा भारती बताया गया। लेकिन शर्तों को पूरा ना करने की वजह से तीनों एनजीओ को संबंधित कमेटी द्वारा रिजेक्ट कर दिया गया था।

निगम विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक आवेदन को रिजेक्ट करने पर उत्तरी दिल्ली नगर निगम के आयुक्त संजय गोयल ने कमिटी मेंबर्स की खूब जमकर क्लास लगाई और आदेश दिया था कि नियम में संशोधन करते हुए जल्द दोबारा से प्रस्ताव तैयार किया जाए।

       

पहली बार यानी 8 दिसंबर को निगम द्वारा पास किए गए प्रस्ताव में सबसे पहली शर्त यही थी कि एनजीओ वर्तमान में हेल्थ केयर सुविधा दे रही हो और साथ ही उसके पास 6 साल का अनुभव भी होना अनिवार्य है।   

नियमों को पूरा न करने की वजह से पहली बार जब सारे आवेदन रिजेक्ट कर दिए गए तो एक बार फिर से नियम में संशोधन करते हुए दोबारा से प्रस्ताव पर हरी झंडी दे दी गई है।

     

जिसे बीते 2 फरबरी को पास करके आवेदकों के लिए ऑनलाइन जारी किया गया है। नियम में जो संशोधन किया गया है उसमें पहले पॉइंट पर शर्त है कि एनजीओ वर्तमान में हेल्थ केयर सुविधा दे रही हो और साथ ही उसके पास 6 साल का अनुभव भी होना अनिवार्य है। लेकिन उसके साथ एक और सुविधाजनक लाइन जोड़ दी गई है कि एनजीओ चाहे तो किसी थर्ड पार्टी (जिसके पास हेल्थ फैसिलिटी सुविधा देने का 6 साल का अनुभव हो) के साथ जुड़कर भी आवेदन भर सकती है। इसका मतलब यही है कि यदि किसी एनजीओ के पास 6 साल का अनुभव नहीं है तो वह किसी थर्ड एनजीओ के साथ मिलकर इस आवेदन के लिए आगे बढ़ सकती है। आवेदन भरने की आखिरी तारीख 23 फरवरी रखी गई है।

इस पूरे मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उत्तरी दिल्ली नगर निगम के नेता विपक्ष विकास गोयल ने कहा कि प्रस्ताव को सदन में न लाकर मेयर ने चुपचाप से अग्रिम स्वीकृति दे दी। उससे यही प्रतीत होता है कि भाजपा के नेता चोरी छिपे सारे नियम कानून को ताक पर रख नगर निगम की सभी संपत्तियों को अपने लोगों को मुफ्त में बांटने में जुट गए है।अभी कुछ दिन पहले ही भाजपा पार्षद मंजू खंडेलवाल ने निगम की करोड़ों की संपत्ति अपने पति के नाम करवा दी और अब इन दो संपत्तियों को भाजपा के नेता आरएसएस वालों को सौपना चाह रहे है जो सिरे से गलत है। विकास गोयल ने कहा कि लगातार दिल्ली सरकार ने मांग करी कि यदि नगर निगम अपने अस्पतालों को चलाने में असमर्थ है तो वह उन अस्पतालों को दिल्ली सरकार को सौंप दें ताकि सरकारी संपत्ति प्राइवेट हाथ में ना जाकर सरकार के ही पास सुरक्षित रहे ।लेकिन जिस भागम भाग में भाजपा के नेता जुटे हैं उससे तो यही साबित हो रहा है कि आगामी नगर निगम के चुनाव में जनता उन्हें पूरी तरह से नकारने वाली है। यही कारण है कि निगम की सारी संपत्तियों को जल्दबाजी में लूटकर भागना चाह रहे हैं।

उधर इस बारे में महापौर राजा इकबाल सिंह व स्थाई समिति चेयरमैन जोगीराम जैन से उनकी भी प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई लेकिन दोनों से ही संपर्क नहीं हो सका।

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