क्या भाजपा का कोई भी नेता निगम के इस अधिकार को लेने में सक्षम नहीं ??
निगमकर्मी हर महीने सैलरी को लेकर परेशान
बीते कई सालों से चल रही फण्ड की भीषण समस्या ने न केवल दिल्ली नगर निगम बल्कि पूरी दिल्ली की जनता को परेशान होने पर मजबूर कर दिया है। दिल्ली की तीनों नगर निगमों में फण्ड को लेकर हो रही समस्या में सबसे ऊपर नार्थ एमसीडी का नाम है ,उसके बाद ईडीएमसी दूसरे पायदान पर है। वहीँ फंड को लेकर साउथ दिल्ली नगर निगम की स्तिथि भी पहले के मुताबिक अब काफी ख़राब हो चुकी है।
एमसीडी पक्ष में बैठे भाजपा नेताओं का कहना है कि निगम बीते दो वर्षो से कोरोना की मार झेल रहा है। एक और जहाँ लॉकडाउन की वजह से रेवेन्यू जनरेशन का कार्य सबसे ज्यादा प्रभावित रहा तो वही दिल्ली सरकार का समय से निगम को फण्ड नहीं देना भी आर्थिक तंगी की दूसरी सबसे बड़ी वजह है।
मालूम हो कि इस बड़ी समस्या का एक बड़ा समाधान है जिसे प्रस्ताव के तौर पर ४ साल पहले यानि २०१७ में भाजपा शासित निगम प्रशासन द्वारा लाया गया था। प्रस्ताव पर सदन की मुहर लग जाने के बाद उसे पास होने के लिए केंद्र सरकार के पास भेज दिया गया था। तब से लेकर अबतक उस प्रस्ताव को लेकर भाजपा के किसी भी नेता ने कोई सुध नहीं ली है। जब भी फण्ड की बात आती है तो भाजपा नेताओं का सीधा इशारा दिल्ली सरकार की और चला जाता है।
२०१७ में एमसीडी प्रशासन द्वारा सिविक एमनेस्टी फण्ड को लेकर एक प्रस्ताव लाया गया था जिसे सदन ने पास भी कर दिया था। सिविक एमनेस्टी फण्ड के तहत प्रत्येक राज्यों के निगमों को प्रति व्यक्ति ४८८ रुपये केंद्र सरकार द्वारा दिया जाता है। यदि ये फण्ड एमसीडी को भी मिलता है तो तीनो निगमों को मिलाकर लगभग ८०० करोड़ की राशि प्रति वर्ष प्राप्त होगी। इस राशि के प्राप्त होने से फंड संबंधित समस्या से काफी राहत मिलेगी।
बता दें कि फंड को लेकर लगातार आम आदमी पार्टी और भाजपा के नेताओं के बीच नूरा कुश्ती चलती रहती है। दिल्ली भाजपा पूर्व अध्यक्ष मनोज तिवारी का २०१७ के निगम चुनाव के दौरान केंद्र से डायरेक्ट फण्ड लाने का वो बड़ा बयान आज भी विवाद का कारण बना हुआ है। वहीँ निगम आधिकारिक सूत्रों कि माने तो २०१७ में तैयार की गई सिविक एमनेस्टी फण्ड की फाइल आजतक केंद्र की अर्बन डेवलपमेंट मिनिस्ट्री में धूल फांक रही है। जिसकी सुध लेने को कोई भी भाजपा नेता या तो तैयार नहीं या फिर इतना सक्षम ही नहीं कि उसे लेकर सम्बंधित विभाग से जवाब तलब कर सके।