दिल्ली नगर निगम में कई हज़ार ऐसे कर्मचारी है जिनकी मांग पर अबतक लगातार सियासत जारी रहा है। खासकर ग्रुप डी की श्रेणी में आनेवाले कर्मचारियों की मांगों को लेकर समाधान की जगह उन्हें अबतक केवल सियासी दलों की ओर से आरोप और प्रत्यारोप ही मिलता रहा है।
ग्रुप डी में तीनों निगमों के सफाईकर्मी ,बेलदार ,नाला बेलदार , माली ,चौकीदार ,डीबीसी ,सीएफडब्लू , आया ,आदि स्टॉफ आते हैं।इनके अलावा डेथ केस के कर्मचारी भी कई सालों से अपनी मांग पर कायम हैं। इन सभी कर्मचारियों की मांगों पर काफी सालों से विराम लगा हुआ है। अबतक सत्ता पक्ष और विपक्ष इन सभी मुद्दों पर अपना हाँथ झाड़ता दिखाई दिया है और एक दूसरे को उसका ज़िम्मेदार ठहरता रहा।
लेकिन एकीकृत निगम की तस्वीर इनसब से कुछ अलग ही होगी। यूनिफाइड एमसीडी को लेकर लोकसभा व राज्यसभा द्वारा पारित बिल कुछ इस तरह से तैयार किया गया है ताकि आनेवाले समय मे जिस किसी पार्टी की निगम में सरकार बनती है वो निगमकर्मियों के समाधान के लिए कोई नया बहाना नहीं बना सकेगी।
एकीकृत निगम के महापौर के पास कर्मचारियों के पद सृजन से लेकर उनके पक्के होने का भी पॉवर होगा ताकि बात बात पर उन्हें दिल्ली सरकार के आदेश की ज़रूरत न पड़े। साथ ही पक्के होने को लेकर फण्ड की किचकिच से भी निजात मिलेगी क्योंकि एक निगम में फ़िज़ूल के खर्चे बचेगें जिससे फंड का रोना कम होगा।
अबतक निगम स्टॉफ के बीच स्टॉफ की सीनियोरिटी के मुताबिक तैयार की गई लिस्ट को लेकर भी पंगा हुआ है।एकीकृत निगम के निर्माण होते ही ये समस्या भी दूर हो जाएगी । साथ ही स्टॉफ के प्रमोशन के भी रास्ता खुल जायेगा क्योंकि तब फंड को लेकर जो अबतक समस्या रही है उसपर कमी आ जायेगी।