राजधानी दिल्ली में पानी पर सियासत जारी है ।प्रदेश भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पानी संकट में सुधार की सभी योजनाएं कागज़ों में उनके झूठे वायदों की तरह गुम हो चुका है।
केजरीवाल सरकार झूठे वायदें करने वाली सरकार है क्योंकि पानी संकट के हल के लिए किया गया कोई भी वादा पूरा नहीं हो पाया है। दिल्ली में लगातार बढ़ रही आबादी के चलते पीने के पानी की मांग 1250 एम.जी.डी. तक पहुंच चुकी है, लेकिन गत 7 वर्षों से उत्पादन 950 एम.जी.डी. पर ही रुका हुआ है। उन्होंने कहा कि झूठे वायदों और घोटालों के दम पर चल रही केजरीवाल सरकार से पानी संकट के हल की उम्मीद रखना ही बेकार है। झूठे वायदों वाली सरकार की पानी उतर चुका है और लोगों को अब सच्चाई का एहसास हो रहा है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि आज स्थिति यह है कि दिल्ली के 150 से अधिक इलाकों में लाखों लोग पानी के लिए तरस रहे हैं और अनेक क्षेत्रों में लोग पानी खरीदकर काम चला रहे हैं। ऐसी स्थिति में भाजपा एक मूक दर्शक नहीं बनी रह सकती है और उसके कार्यकर्ता हर क्षेत्र के गली-कूचे में उतरकर केजरीवाल सरकार के खिलाफ आंदोलन चलाते रहेंगे। साथ ही अब समय आ गया है कि पानी की भी ऑडिट होनी चाहिए।
गुप्ता ने कहा कि टैंकर माफियाओं को खत्म करने का वादा करके सत्ता में आने वाले केजरीवाल के विधायक टैंकर के नाम पर बड़ी रकम वसूल कर रहे हैं। साल 2014 से पहले जब कांग्रेस की सरकार थी तो पानी टैंकरों पर 1109 करोड़ रुपये खर्च होते थे क्योंकि अधिकांश कॉलोनियों में पानी की सप्लाई नहीं थी, लेकिन केजरीवाल सरकार के अनुसार अगर 93 प्रतिशत कॉलोनियों में पानीलाइन बिछा दी गई है तो पानी टैंकरों पर 1783 करोड़ रुपये का खर्च हो रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की 40 प्रतिशत आबादी के पास अभी भी साफ पानी नहीं पहुंच पा रहा है।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार की गलत और भ्रष्टाचारी नीतियों के कारण कभी 800 करोड़ रुपये के फायदें में चलने वाले दिल्ली जल बोर्ड को कंगाली के कगार पर ला दिया है। दिल्ली सरकार ने बोर्ड को गत वर्षों में 57 हज़ार करोड़ रुपया दिया है, लेकिन इसमें से 26 हज़ार करोड़ रुपये का कोई हिसाब ही उपलब्ध नहीं है। इतना ही नहीं जल बोर्ड हर साल 2000 करोड़ रुपये के घाटे में चल रहा है।
गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल की अन्य राज्यों से पानी लाने की योजना कागजों में गुम है। रैनी वैल लगने, यमुना के किनारे भूमिगत जलाशय बनाने और ग्रामीण क्षेत्रों में तलाब बनाकर पानी एकत्र कर उसका उपयोग करने की घोषित योजनाओं पर आज तक कोई अमल नहीं हुआ।