खबर दिल्ली से : पढ़ो दिल्लीवालों !! सीएम केजरीवाल के मंत्रियों के विभागों को लेकर हुआ है बड़ा खुलासा..
बजाते रहो न्यूज़
ताजा मामला केजरीवाल सरकार के मंत्रियों के विभागों की स्वीकृति का है। दिल्ली सरकार ने 27 जून को पत्र उपराज्यपाल कार्यालय को भेजा और 29 जून को यह आरोप लगा दिया कि 5 दिन से उपराज्यपाल विभागों में बदलाव की अनुमति नहीं दे रहे। हैरानी की बात यह है कि 28 जून को स्वीकृति के बाद फाइल वापस दिल्ली सरकार को भेज दी गई थी।
इसपर दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने कहा कि फाइल पर तो हर मूवमेंट की तारीख होती है। केजरीवाल फाइल को सार्वजनिक करके बताएं कि वह झूठ बोल रहे हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब मुख्यमंत्री केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने झूठ बोला हो। वे रोजाना नए-नए झूठ बोलकर उपराज्यपाल तथा केंद्र सरकार के साथ टकराव के बहाने ढूंढते हैं।
ऐसा लगता है कि पूरी सरकार का ध्यान सिर्फ झूठ और टकराव पर ही लगा हुआ है। यही वजह है कि दिल्ली हर क्षेत्र में पिछड़ती जा रही है। शिक्षा में दसवीं और बारहवीं के नतीजे गिर रहे हैं, नौवीं और ग्यारहवीं क्लास में इस बार सबसे कम बच्चे पास हुए हैं, अस्पताल सिर्फ कागजों पर काम कर रहे हैं, नई बसें न आने से दिल्ली का पब्लिक ट्रांसपोर्ट दम तोड़ चुका है, बिजली के रेट लगातार बढ़ाए जा रहे हैं और मुफ्त बिजली सिर्फ एक जुमला बन गई है, लोगों को एक-एक बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है, दिल्ली की सड़कों के बखिए उधड़े पड़े हैं, प्रदूषण पर नियंत्रण के नाम पर तिनका टेढ़ा नहीं किया और नगर निगम में सत्ता में आए सात महीने हो गए हैं और दिल्ली की सफाई व्यवस्था पूरी तरह चौपट होकर रह गई है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि केजरीवाल यह भी झूठ फैलाते रहे हैं कि केंद्र के अध्यादेश से दिल्ली सरकार के अधिकार छिन गए हैं। केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश के माध्यम से बनाई गई नैशनल केपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी ( NCCST) में मुख्यमंत्री को ही चेयरमैन बनाया गया है। अथॉरिटी की पहली मीटिंग के बाद केजरीवाल ने आरोप लगाया था कि अथॉरिटी में अधिकारियों का बहुमत है जबकि दूसरी मीटिंग में स्वयं केजरीवाल ने ही सारे फैसले लिए हैं।
उन्होंने शिक्षा विभाग के कुछ अधिकारियों की नियुक्ति को यह कहकर रोक दिया कि उनके खिलाफ विजिलेंस जांच चल रही है। कुछ कर्मचारियों को हटाने का प्रस्ताव भी उन्होंने नामंजूर किया। इससे सिद्ध हो जाता है कि अफसरों के ट्रांसफर/पोस्टिंग को लेकर केजरीवाल जो हो-हल्ला मचा रहे हैं, वह भी झूठा है। इस मामले में भी वह सिर्फ भ्रम ही फैला रहे हैं।