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एमसीडी में संवेदनहीनता की हद्द तब पार हो गई जब पब्लिक हेल्थ विभाग द्वारा एक आदेश पारित किया गया।
मालूम हो कि राजधानी दिल्ली के श्मशान घाटो पर आए दिन पंडितों और दाह संस्कार कराने आए परिजनों के बीच दक्षिणा को लेकर छींटाकशी होती रहती है। जिसके कारण दुखी परिजन जहां अपने परिजन की मृत्यु से दुखी होते है तो वहीं दाह संस्कार कराने वाले पंडितों द्वारा हजारों में दक्षिणा जबरन मांगने से भी परेशान होते है। जो लोग आर्थिक रूप से कमज़ोर है उनके द्वारा राशि देना मुश्किल हो जाता है।
यहां तक की कई बार पंडितों के इस आचरण से निम्न वर्ग के व्यक्ति अपने परिजन की अस्थियां एकत्रित करने भी नही आते कि कही फिर पंडित जी ज्यादा पैसो की डिमांड ना करने लग जाए।
ऐसी शिकायतों के बाद दिल्ली नगर निगम ने पीड़ितों को राहत देने की जगह एमएचओ द्वारा बीते 11 मार्च 2024 को आदेश पारित कर तय किया था,कि दिल्ली के सभी श्मशान घाटो में दाह संस्कार कराने वाले पंडितों को 500 रुपए की राशि दाह संस्कार के नाम की दी जाएगी और अस्थियां इकठ्ठा करने आने पर 350 रुपए प्रति व्यक्ति दिए जाएंगे।
इन आदेशों को पालन कराने में दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों को जब कडी मशक्कत करनी पड़ी, तो दिल्ली की मेयर व स्थानीय निगम पार्षदों द्वारा लोगों के हित की बजाए पंडितों के लिए दवाब बनाया जाने लगा।