DTC मार्शलों की भर्ती को लेकर मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई जाए और प्रस्ताव को मंजूरी दी जाए: विजेंद्र गुप्ता
बजाते रहो भारत न्यूज़
नई दिल्ली
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने दिल्ली की ‘आम आदमी पार्टी’ सरकार पर आरोप लगाया है कि वह डीटीसी के 10 हजार मार्शलों की नौकरी बहाल करने की नौटंकी कर रही है और इन युवाओं के अरमानों को कुचल कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। दिल्ली भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मार्शलों को बहाल करने की मांग के साथ भाजपा विधायक दल कल सुबह 10:30 बजे मुख्यमंत्री आतिशी से मुलाकात करेगा और उनसे विनम्र अनुरोध करेगा कि इन गरीब दस हजार मार्शलों को नौकरी पर बहाल करने के लिए जो भी जरूरी है वह किया जाए, भाजपा विधायक दल अपना पूरा सहयोग देने को तैयार है। प्रेस वार्ता में भाजपा विधायक अभय वर्मा भी मौजूद थे।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 26 सितंबर को भाजपा विधायक दल की ओर से विधानसभा में इन 10 हजार बस मार्शलों की नौकरी को बहाल करने और उन्हें नियमित करने के संबंध में एक प्रस्ताव पेश किया था। इस प्रस्ताव पर चर्चा होने के बाद इसे सदन में पारित कर दिया गया। अब नियमानुसार इस प्रस्ताव को कैबिनेट से अप्रूव करवाने के लिए एक कैबिनेट नोट बनाया जाना था और कैबिनेट की बैठक बुलाकर उस पर कैबिनेट की मंजूरी ली जानी थी और उसके बाद अंत में इसे उपराज्यपाल की स्वीकृति के लिए एलजी ऑफिस भेजा जाना था, लेकिन सरकार की तरफ से ऐसा कुछ नहीं किया गया। और मार्शलों की आँख में धूल झोंकने के लिए 3 अक्टूबर को एलजी से मिलने की झूठी घोषणा का आडंबर रच दिया गया।
विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया, क्योंकि यह इन मार्शलों को नौकरी पर रखना ही नहीं चाहती। गुप्ता ने बताया कि आतिशी सरकार ऐसा इसलिए नहीं करना चाहती क्योंकि इनके आका यानी अरविंद केजरीवाल के 11 अक्टूबर 2023 के नोट पर ही इन्हें बर्खास्त किया गया था और अब दिन रात अपने ‘आका’ का स्तुतिगान करने वाले आप पार्टी के नेता अपने ही पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ जाने की हिम्मत कैसे जुटा सकते हैं और इसीलिए इन्होंने इन सबसे बचने के लिए कैबिनेट नोट और मीटिंग जैसी औपचारिकता पूरी न करने का फैसला लिया।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आम आदमी पार्टी अब ‘धोखाधड़ी पार्टी’ बन चुकी है और इसलिए दिल्ली के युवाओं को धोखा देना, उनके अरमानों को कुचलना और उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ करना इनकी आदतों में शुमार हो चुका है। गेस्ट टीचर्स, कॉन्टैक्ट इंप्लाइज, डाक्टर्स, शिक्षक, वालन्टियर्स, बस मार्शल्स, सबके साथ धोखा करना इनकी फितरत बन चुका है। पहले ये अस्थाई भर्तियाँ करके वाही-वाही लूटते हैं और फिर 6-7 महीने तक उन्हें सैलरी ना देकर उनका शोषण करते हैं और फिर रातों-रात उन्हें बर्खास्त करने का तुगलकी फरमान जारी कर देते हैं।
गुप्ता ने आप पार्टी पर यह भी आरोप लगाया कि अपने आप को गरीबों, दलितों और पिछड़ों का मसीहा कहने वाले आम आदमी पार्टी के नेताओं ने बस मार्शलों की नौकरी में एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के युवाओं को आरक्षण नहीं दिया। ऐसा करके इन्होंने इनका हक छीना है। आप पार्टी के नेता इन्हें अपना वोट बैंक तो मानते हैं लेकिन इन्हें आरक्षण नहीं देते हैं।
गुप्ता ने कहा कि ड्रामा करने में इस धोखाधड़ी पार्टी का कोई जवाब नहीं है। 26 सितंबर को विधानसभा में उनके मंत्री सौरभ भारद्वाज ने जोर जोर से घोषणा की थी कि उनके सभी विधायक मार्शलों की नौकरी की बहाली का प्रस्ताव लेकर 3 अक्टूबर को उपराज्यपाल से मिलने जाएंगे और हाथों-हाथ उनसे अप्रूवल लेकर मार्शलों की नौकरी बहाल कर देंगे, लेकिन इनका एक भी विधायक, नेता या अधिकारी प्रस्ताव लेकर उपराज्यपाल के ऑफिस में नहीं पहुंचा।
गुप्ता ने सौरभ भारद्वाज पर तंज करते हुए कहा कि कैबिनेट मंत्री को इतना तो मालूम होना चाहिए कि किसी भी प्रस्ताव पर उपराज्यपाल से स्वीकृति लेने से पहले उस पर एक कैबिनेट नोट तैयार किया जाता है और फिर कैबिनेट मीटिंग में उसे अप्रूव करवाकर पूरी फाइल को तमाम दस्तावेजों के साथ उपराज्यपाल को भेजा जाता है। लेकिन मंत्री महोदय ने जानबूझकर ऐसा नहीं किया क्योंकि वे इन्हें दुबारा नौकरी पर रखना ही नहीं चाहते हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मार्शलों को बहाल करने की मांग के साथ भाजपा विधायक दल कल सुबह जब मुख्यमंत्री आतिशी से मुलाकात करेगा तो उन्हें कहेगा कि इन गरीब दस हजार मार्शलों को नौकरी पर बहाल करने के लिए जो भी जरूरी है वह किया जाए और एससी, एसटी, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कैटेगरी के युवाओं को आरक्षण भी दिया जाए। भाजपा इस संबंध में अपना हर संभव सहयोग देने को तैयार है। भाजपा विधायक दल मुख्यमंत्री से यह भी सवाल करेगा कि आखिर इन गरीब दस हजार मार्शलों को बिना किसी गलती के केजरीवाल ने नौकरी से क्यों हटा दिया था और हटाने से पहले इन्हें 6-7 महीनों तक सैलरी क्यों नहीं दी गई।