यमुना बचाओ, दिल्ली बचाओ के नारे से गूंजा बदरपुर..यमुना भिक्षु रविशंकर तिवारी ने किया भिक्षाटन महायज्ञ
बजाते रहो भारत न्यूज़
भिक्षाटन महायज्ञ में रविवार यमुना को बचाने की आवाज उठी। यमुना बचाओ, दिल्ली बचाओ का नारा बदरपुर में गूंजा। इस दौरान बदरपुर एनटीपीसी गेट-3 से यमुना संसद के संयोजक यमुना भिक्षु रविशंकर तिवारी की अगुवाई में पद यात्रा निकली। स्वाभिमान देश का संगठन के संस्थापक सुरेंद्र सिंह बिधूड़ी के संयोजन में निकली यात्रा में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा।
पूरी यात्रा के दौरान, मोलरबंड मार्केट में जगह-जगह लोगों ने यमुना भिक्षुओं का फूल-माला से स्वागत किया। महिलाओं ने आरती उतारने के साथ यमुना भिक्षुओं का तिलक भी किया। यात्रा के दौरान एनसीसी कैडेट्स अपनी यूनीफार्म में कदमताल करते दिखे। सभी ने एक सुर से यमुना के शुद्धिकरण के इस महाअभियान में तन, मन व धन से समर्थन देने की प्रतिबद्धता दिखाई। और हर कदम पर साथ देने का वायदा किया।
सुरेंद्र सिंह बिधूड़ी ने यमुना जी को दिल्ली की जीवनरेखा बताते हुए इसके शुद्धिकरण के महत्व पर चर्चा की। बिधूड़ी के मुताबिक, यमुना भिक्षु रविशंकर तिवारी यमुना जी के शुद्धिकरण के इस महाअभियान पर निकले हैं। पूरी दिल्ली को आगे बढ़कर इसमें आहूति डालनी होगी। क्योंकि सवाल यमुना को और उससे भी ज्यादा दिल्ली को बचाने का है। यमुना जी बचेंगी, तभी दिल्ली बचेगी।
वहीं, रविशंकर तिवारी ने बताया कि यमुना जी वेंटिलेटर पर हैं। हम लोग इनका इलाज करने के लिए निकले हैं। और हमारा तरीका नेचुरल है, नेचुरोपैथी से हम लोग यमुना का इलाज करेंगे। जो आकलन है हमारे एक्सपर्ट्स की टीम का, उसमें पल्ला से जैतपुर तक यमुना के फ्लड प्लेन में करीब तीस बायोडायवर्सिटी पार्क विकसित हो सकते हैं। एक पार्क औसतन 200-300 एकड़ में होगा। पार्क का तीन स्तरीय फारेस्ट यमुना जी के फेफड़े और वहां के बड़े-बड़े तालाब किडनी का काम करेंगे। इस सबसे यमुना जी की 40-50 फीसदी तक बीमारी अपने आप ठीक हो जाएगी। हम लोगों ने एलजी वीके सक्सेना साहब से मुलाकात की है और मॉडल के तौर पर एक पार्क विकसित करने की जगह मांगी है। इसके विकास पर आने वाला खर्च समाज देगा, श्रम भी समाज ही करेगा। सरकार सिर्फ सुविधा प्रदाता के तौर पर रहेगी। दुनिया का यह पहला मॉडल होगा, जहां समाज इतना नजदीक से अपनी नदी को बचाने के लिए साथ खड़ा होगा। इसके अलावा एक शोध संस्थान विकसित किया जाएगा। यहां से हर साल सौ युवाओं को इस तरह प्रशिक्षित किया जाएगा कि वह यमुना जी समेत पूरी प्रकृति के प्रति गहरी संवेदना लाई जा सके और भविष्य में प्रकृति प्रेमियों की संख्या बढ़ती रहे।