नार्थ एमसीडी के स्टॉफ अपनी सैलरी को लेकर हर दिन शासन व प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं।उधर से जवाब यही मिलता है कि फण्ड क्राइसिस है क्योंकि दिल्ली सरकार टाइम से निगम का फण्ड देती नहीं और उधर जितना फण्ड निगम इकट्ठा करता है उसी से किसी तरह अबतक सैलरी दी गई है।
लेकिन इन सब बातों के बीच एक बड़े भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है।निगम आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि प्रॉपर्टी टैक्स के नाम पर निगम द्वारा जो सर्वे प्राइवेट कंपनी द्वारा करवाया जा रहा है।उसमें बड़ी गड़बड़ी हो रही है।सूत्र बताते है कि प्रति घर के सर्वे के एवज में निगम द्वारा कंपनी को मोटा पेमेंट किया जाता है।
लेकिन वे इलाके जो टैक्स के दायरे से बाहर है उसकी भी सूची बनाकर निगम द्वारा सर्वे करने वाली कंपनी को मोटी रकम की भरपाई की जा रही है।यही नहीं 50 मीटर के अंतर्गत आने वाले रेजिडेंस जिन्हें टैक्स के दायरे से हटाए जाने की घोषणा सदन के बीचोंबीच पूर्व महापौर जय प्रकाश द्वारा किया गया था।वहाँ भी सर्वे टीम का कार्य जारी है। हालांकि 50 मीटर वाली घोषणा पर अबतक कोई आधिकारिक आर्डर नहीं जारी किया गया है।