उधर निगम के स्टॉफ अपनी सैलरी के लिए परेशान है तो इधर निगम के भीतर चल रहे भ्रष्टाचार के लगातार खुलासे इस सवाल का जवाब दे रहे है कि आखिर क्यों नहीं मिलती निगमकर्मियों को टाइम से सैलरी। इसी कड़ी में एक और मामला सामने आया है।
‘आम आदमी पार्टी से’ विधायक आतिशी ने भाजपा शासित निगम को एक नए मुद्दे पर घेरते हुए कहा कि एक ओर निगम स्टॉफ की सैलरी देने को लेकर भाजपा के नेताओं को कोई चिंता नहीं लेकिन उधर अपनी जेब कैसे भरी जाए उसके लिए भाजपा शासित नॉर्थ एमसीडी अब शालीमार बाग में ए-सी ब्लॉक स्थित प्राइमरी स्कूल को बेचने की तैयारी में है। 15 दिसंबर को होने वाली नॉर्थ एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक के एजेंडा में साफ-साफ इसका ज़िंक्र किया गया है। भाजपा की पैसों की भूख इतनी बढ़ गई है कि अब स्कूलों की ज़मीनों को भी बेचने पर उतर आए हैं। भाजपा ने 2800 वर्ग मीटर की इस ज़मीन को 126 करोड़ में बेचने का प्रस्ताव रखा है, जो मार्केट रेट से बहुत ही कम है। मार्केट रेट के अनुसार स्कूल की उस ज़मीन का मार्केट रेट कम से कम 2500 करोड़ है। उन्होंने कहा कि एक तरफ दिल्ली सरकार नए स्कूल खोल रही है और दूसरी ओर भाजपा शासित एमसीडी बने बनाए स्कूलों को भी बेचने में लगी है। वहीं प्रेसवार्ता में मौजूद नॉर्थ एमसीडी के एलओपी ने कहा कि इतनी संपत्तियां बेचने के बाद भी एमसीडी कर्मचारियों को सैलरी नहीं मिल रही। स्पष्ट है यह सारा पैसा भाजपा के नेताओं की जेबों में जा रहा है।
आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और विधायक आतिशी ने शनिवार को पार्टी मुख्यालय में प्रेसवार्ता को संबोधित किया। आतिशी ने कहा कि हमने इस मुद्दे को बार-बार उठाया है कि नॉर्थ एमसीडी की कुर्सी पर बैठी भाजपा की सरकार एमसीडी की सभी संपत्तियों को बेच रही है। सिर्फ बेच ही नहीं रही है, उनको औने-पौने दामों पर यानी कि मार्केट रेट से बहुत ही कम दामों पर बेच रही है। जिससे यह स्पष्ट होता है कि कहीं न कहीं कोई सांठगांठ है कि जो भाजपा के नेता और पार्षद औने-पौने दामों पर सरकारी संपत्तियों को बेच रहे हैं तो उनको कुछ न कुछ तो मिल रहा होगा।
पहले तो यह लोग पार्किंग और शॉपिंग कॉमप्लेक्स बेच रहे थे लेकिन अब इनके पैसों की हवस यहां तक पहुंच गई है कि इन्होंने एमसीडी के स्कूलों को भी बेचना शुरू कर दिया है। एमसीडी को बिल्कुल चिंता नहीं है कि अपने स्कूल ठीक करें। वहां पर बच्चों की पढ़ाई को सुधारें। जो बच्चे एमसीडी से पढ़कर दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने आते हैं, 6ठीं कक्षा में प्रवेश लेते हैं, उनमें लगभग 80% बच्चों को अपनी किताब भी पढ़नी नहीं आती है। तो एमसीडी ने बहुत पहले ही बच्चों को पढ़ाने से हाथ खड़े कर दिए। अब उन्हें क्या चिंता है कि जो गरीबों के बच्चे एमसीडी स्कूल में जा रहे हैं, उन्हें शिक्षा मिले या नहीं। और आज यह हालात हो गए हैं कि उन्होंने स्कूलों की ज़मीनों को भी बेचना शुरू कर दिया है।
नॉर्थ एमसीडी की आगामी स्टैंडिंग कमेटी का एजेंडा पेश करते हुए आतिशी ने कहा कि 15 दिसंबर को नॉर्थ एमसीडी की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक होने वाली है। हमारे पास उसका एजेंडा मौजूद है। इसमें एजेंडा आइटम नंबर 113 यह कहता है कि नॉर्थ एमसीडी में शालीमार बाग के ए-सी ब्लॉक में जो एमसीडी का प्राइमरी स्कूल है, उसको बेचने का प्रस्ताव नॉर्थ एमसीडी 15 तारीख को होने वाली स्टैंडिंग कमेटी में रखने जा रही है। यह कैसी हालत हो गई है हमारे देश की! कैसी हालत हो गई है एमसीडी की! अभी तक हम सुनते आ रहे थे कि एमसीडी के बच्चे स्कूल छोड़कर जा रहे हैं। लेकिन आज भाजपा शासित एमसीडी द्वारा स्कूलों की ज़मीन को बेचा जा रहा है। और न सिर्फ स्कूलों की ज़मीन को बेचा जा रहा है बल्कि उस ज़मीन को मार्केट रेट से बहुत कम दामों में बेचा जा रहा है। क्यों? क्योंकि उन्हें लग रहा है कि अपैल में हमारी सरकार जाने वाली है तो उससे पहले अपनी जेबें जितनी भर सकते हैं, भर लें।
इस स्कूल की ज़मीन 2800 वर्ग मीटर की है। उसको 126 करोड़ की रेट पर बेचने का प्रस्ताव है। जबकि यदि हम शालीमार बाग के उस क्षेत्र की ज़मीनों के मार्केट रेट देखने जाएं तो उस प्लॉट का मार्केट रेट कम से कम 2500 करोड़ है। और स्कूल के उस प्लॉट को कॉमर्शियल पार्किंग के लिए बेचा जा रहा है जबकि वह एक रेसिडेंशियल एरिया है। यदि उस ज़मीन का मूल्य कॉमर्शियल रेट के अनुसार लगाएं तो वह ज़मीन 500 करोड़ की बिकेगी। तो एमसीडी की यही कहानी है।
उन्होंने कहा कि भाजपा को यह समझ में आ गया है कि दिल्ली की जनता ने भाजपा को एमसीडी से निकालकर बाहर करने का मन बना लिया है। आज जो भाजपा शासित एमसीडी है, जो भाजपा के सारे नेता और पार्षद हैं, उन्हें पता है कि अप्रैल में जब एमसीडी का चुनाव होगा तो जनता उनसे इतना त्रस्त है कि उन्हें बाहर कर तीनों एमसीडी की कमान आम आदमी पार्टी को सौंप देगी। इसलिए आजकल भाजपा शासित एमसीडी का एक ही मकसद रह गया है कि इन तीन-चार महीनों में कितने पैसे बनाए जा सकते हैं, अपनी जेबें कितनी भरी जा सकती हैं। भारतीय जनता पार्टी का सिर्फ इतना ही एजेंडा एमसीडी में रह गया है।
बेची गई संपत्तियों की लिस्ट बहुत लंबी है। चांदनी चौक की गांधी मैदान पार्किंग, पीतमपुरा की शिवा मार्केट पार्किंग, सदर बाज़ार की कुतुब रोड पार्किंग, नॉवल्टी सिनेमा, आज़ादपुर स्थित नानीवाला बाग, मोती नगर शॉपिंग कॉमप्लेक्स, डिलाइट सिनेमा के पास 22 दुकानें, संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर के 132 प्लॉट्स, करोल बाग में 5 पार्किंग और शॉपिंग कॉमप्लेक्स, 34 स्कूल, खाली हेल्थ सेंटर, टाउन होटल, आरबीटीबी अस्पताल आदि। यह तो पूरी लिस्ट भी नहीं है और लगातार संपत्तियों को बेचने का काम किया जा रहा है।
दिल्ली सरकार और एमसीडी के स्कूलों की तुलना करते हुए आतिशी ने कहा कि एक तरफ दिल्ली सरकार है जो नए स्कूल खोल रही है, हज़ारों नए कमरे बना रही है। जहां पर इस साल 2 लाख से ज्यादा बच्चों ने प्राइवेट स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूल में एडमिशन लिया है। जहां पर टीचरों को ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजा जाता है। जहां के बच्चे आईआईटी और नीट में एडमिशन ले रहे हैं। जहां के बच्चे बिजनेस ब्लास्टर्स जैसे प्रोग्राम के माध्यम से आन्त्रप्रन्योर बन रहे हैं, इनवेस्टर्स के सामने अपना बिजनेस लेकर जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर एमसीडी है जो कहती है हम स्कूल बंद करेंगे, हम भ्रष्टाचार के साथ अपनी जेब भरने के लिए अपने सरकारी स्कूलों को बेच डालेंगे। आज भाजपा शासित एमसीडी का भ्रष्टाचार इस हद तक पहुंच गया है कि सिर्फ और सिर्फ अपनी जेबें भरने में जुट गए हैं।
नॉर्थ एमसीडी के नेता प्रतिपक्ष विकास गोयल ने कहा कि हिंदुस्तान में यदि कोई बेटा अपने परिजनों की ज़मीने बेचता है तो उसे कपूत कहते हैं। तो एमसीडी में बैठी भाजपा का भी यही हाल है। उनका भ्रष्टाचार इस हद तक पहुंच गया है कि वह स्कूलों की ज़मीनों को तक नहीं छोड़ रहे हैं। आज जब भी किसी स्टैंडिंग कमेटी या हाउस का एजेंडा आता है तो उसे देखकर ऐसा बिल्कुल नहीं लगता है कि यह किसी सरकार का एजेंडा है। उसे देखकर ऐसा लगता है कि किसी प्राइवेट कंपनी का सेल ऑफर आया है।
एक तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हैं, जो दिल्ली का अच्छा बेटा बनकर शिक्षा, बिजली, पानी के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरा लगा रहे हैं। बुजुर्गों को अयोध्या की तीर्थ यात्रा पर भेज रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा जैसे कपूत हैं, जिनको देखकर ऐसा लगता है कि एमसीडी में कुछ वक्त बचा है उसमें यह लोग एमसीडी की कुर्सियां तक बेच देंगे। हैरानी की बात यह है कि इतनी संपत्तियां बेचने के बाद भी यह लोग अपने कर्मचारियों को सैलरी नहीं दे पा रहे हैं। इससे साफ हो जाता है कि यह सारा का सारा पैसा इनकी जेबों में जा रहा है। एमसीडी में आम आदमी पार्टी की सरकार आने के बाद भाजपा के एक-एक घोटाले की जांच की जाएगी और दोषियों को कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाएगी।