कई महीनों से अपनी तनख्वाह के लिए रोज़ लड़ रहे दिल्ली नगर निगम के कर्मचारियों ने अब अपनी वेदना कलम के ज़रिए बताना शुरू कर दिया है।जो इस प्रकार है…..
*सैलरी के इंतजार में*
सैलरी के इंतजार में भीड़ खड़ी है बहुत सारी, किस-किसको मैं दूंगा इसको, मन में है बस लाचारी।।
दूध वाला बोल रहा है
कब आएगी ये तनख्वाह थारी ?
सबसे पहले मुझको देना
भूखी भैंस खड़ी है म्हारी।।
राशन वाला पूछ रहा है
कहां गई है शर्म तुम्हारी ?
चार माह से खा रहे हो
कब चुकाओगे उधारी ?
कर्जे वाले घूम रहे हैं
हर रोज मुझे वो ढूंढ रहे हैं
घूर-घूर बच्चे पूछ रहें हैं
कब आएगी पगार तुम्हारी ?
कल रात पड़ोसन मुझसे बोली
मिल गया क्या वेतन तुम्हारा ?
मैंने जब फिर सिर हिलाया
मुझसे आकर कान में बोली
कब तक दोगे मीठी गोली
चार माह हो गए तुम्हारे
कहां गए वो कहने वाले
अच्छे दिन के वादे वाले
क्या वो सब जुमले थे सारे ?
वेतन के बिन खाते सूने
टूटे सपने, उम्मीद गंवा दी ।।