दिल्ली महिला आयोग ने हाल ही में दिल्ली नगर निगम द्वारा संचालित स्कूलों में छात्राओं की सुरक्षा की स्थिति की जांच शुरू की । आयोग के मुताबिक आयोग की एक टीम जिसमें दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल, सदस्या प्रोमिला गुप्ता, सारिका चौधरी, फिरदोस खान और वंदना सिंह शामिल थीं, ने 20 मई और 21 मई 2022 को 4 एमसीडी स्कूलों – भाई मंदीप नागपाल निगम विद्यालय, अरुणा नगर (उत्तर), निगम प्रतिभा सह शिक्षा विद्यालय, केवल पार्क (उत्तर), पूर्वी दिल्ली नगर निगम प्रतिभा विद्यालय, मुस्तफाबाद (पूर्वी), दक्षिण दिल्ली नगर निगम प्राथमिक सह बाल बालिका विद्यालय, संजय कॉलोनी, भाटी माइंस (दक्षिण) का औचक निरीक्षण किया। टीम ने स्कूल भवनों का निरीक्षण किया और साथ ही छात्रों, शिक्षकों और स्कूल के अन्य कर्मचारियों के साथ बातचीत की।
आयोग के मुताबिक स्कूलों की स्थिति दयनीय, असुरक्षित और चिंताजनक मिली। आयोग ने पाया कि प्रत्येक स्कूल के गेट खुले थे और स्कूलों में सुरक्षा गार्ड नहीं थे। अरुणा नगर के स्कूल में नशा करने वाले लोग कई बार स्कूल परिसर में घुस जाते हैं और अधिकारियों को धमकाते हैं | केवल पार्क के स्कूल में इस्तेमाल की गई सीरिंज, ड्रग्स, सिगरेट के डिब्बे, गुटखा के रैपर और यहां तक कि टूटी हुई शराब की बोतलें देखकर आयोग हैरान रह गया। आयोग ने इस मामले में तत्काल एफआईआर दर्ज करने की सिफारिश की है।
आयोग के अनुसार अधिकांश स्कूल भवन गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त और बच्चों के लिए असुरक्षित थे। केवल पार्क में स्कूल की बिना प्लास्टर वाली इमारत, जिसमें लगभग 800 छात्रों को रखा गया था, में 2018 में उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा एक बोर्ड लगाया गया था, जिसमें कहा गया था, “भवन के छज्जे छतिग्रस्त है, कृप्या दूरी बनाये रखें” । भवन में चेतावनी बोर्ड होने के बावजूद बच्चों को गंभीर जोखिम में डालकर वहां पढ़ाया जा रहा है! अरुणा नगर के स्कूल में छत और दीवारों के हिस्से कई बार गिर चुके हैं और बच्चे और स्टाफ कई बार बाल-बाल बचे हैं। भाटी माइंस में भीषण गर्मी में बच्चे टिन शेड में बैठने को विवश हैं।
आयोग ने यह भी देखा कि स्कूलों में एक भी चालू सीसीटीवी कैमरा नहीं था। स्कूलों के साथ-साथ शौचालय भी बेहद गंदे थे। कई जगहों पर फर्श पर मल-मूत्र फैला हुआ देखा गया और किसी भी शौचालय में साबुन नहीं था। साथ ही, कई शौचालय के गेट टूटे हुए थे या जिन्हें अंदर से बंद नहीं किया जा सकता था, जो बच्चों की सुरक्षा और निजता को लेकर गंभीर चिंता का विषय है। भाटी माइंस के स्कूल में लड़कियों के शौचालयों पर ताला लगा हुआ था और शौचालयों में पानी का कनेक्शन नहीं होने के कारण लड़के-लड़कियां खुले में शौच के लिए मजबूर हैं।
भाटी माइंस के स्कूल में यह देखा गया कि सुबह 9 बजे (स्कूल शुरू होने के 1.5 घंटे बाद भी) लड़कियों के लिए 9 में से 3 कक्षाओं में शिक्षक नहीं पहुंचे थे। तब तक स्कूल इंचार्ज भी स्कूल में मौजूद नहीं थे। छात्रों ने बताया कि शिक्षक आमतौर पर सुबह 9 बजे के बाद स्कूल आते हैं।सभी स्कूलों में कक्षाओं में छात्रों की काफी भीड़ थी और यह स्पष्ट था कि शिक्षक-छात्र अनुपात के मानदंडों का पालन नहीं किया जा रहा था। संभवतः पर्याप्त संख्या में शिक्षकों की कमी के कारण बच्चों को कुछ कमरों में गर्मी में एक साथ भर दिया जाता है, जबकि स्कूलों में कई कक्षाएं खाली लग रही थीं ।
आयोग को बताया गया कि नगर निगम अपने स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के लिए सुबह साढ़े सात बजे से 11 बजे तक ग्रीष्मकालीन कक्षाएं चला रहा है | बावजूद इसके किसी भी विद्यालय में मध्याह्न भोजन नहीं दिया जा रहा था। अरुणा नगर के स्कूल में हमें प्रबंधन द्वारा बताया गया कि वे उत्तरी दिल्ली नगर निगम के आदेश के अनुसार प्रति छात्र प्रति दिन 2 केले प्रदान कर रहे थे, अन्य किसी भी स्कूल में ऐसा नहीं हो रहा था।
आयोग ने यह भी पाया कि स्कूलों में उचित बेंच उपलब्ध नहीं थे। भाटी माइंस के स्कूल में कुछ छात्रों को डेस्क की कमी के कारण फर्श पर चटाई पर बैठने को मजबूर हैं। साथ ही, स्कूलों के अधिकांश डेस्क में लोहे की रॉड निकली हुई थीं, जिससे बच्चे घायल हो सकते थे।
आयोग ने स्कूलों में उचित पेयजल की अनुपलब्धता के मुद्दे को देखा। भाटी माइंस के स्कूल में केवल एक ही जगह पर पीने का पानी उपलब्ध था और वह भी बहुत गंदा था।
आयोग ने मामले में दिल्ली नगर निगम आयुक्त को नोटिस जारी किया है और 2 जून तक विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने स्कूलों की बदहाली के लिए जिम्मेदार अधिकारियों का ब्योरा भी मांगा है और नगर निगम से उनके खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है |
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने कहा, “मैं दिल्ली नगर निगम के स्कूलों की निराशाजनक स्थिति को देखकर स्तब्ध हूं। ये स्कूल डरावने घर जैसे हैं जहां छात्र और शिक्षक बेहद असुरक्षित हैं। बिना सुरक्षा गार्ड और सीसीटीवी के स्कूल कैसे चल सकता है? जिस भवन में एमसीडी ने ही बोर्ड लगा कर लोगों से भवन क्षतिग्रस्त होने के कारण दूर रहने का अनुरोध किया गया हो उस भवन में स्कूल कैसे हो सकता है! आज की दुनिया में एमसीडी ऐसे स्कूल चला रही है जहां लड़कियों को खुले में शौच के लिए मजबूर किया जाता है! ये कैसा स्वच्छ भारत अभियान है ! यह स्थिति बहुत ही चिंताजनक है और बच्चों के भविष्य की सुरक्षा के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है। मैंने इस मामले में दिल्ली नगर निगम आयुक्त को नोटिस जारी किया है। स्थिति में तत्काल सुधार होना चाहिए और स्कूलों की ऐसी निराशाजनक स्थिति के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।