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दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा है की नगर निगम में नामांकित एल्डरमैनों के सदन की सदस्यता की शपथ लेने के एक माह बाद अचानक दिल्ली सरकार के द्वारा इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय जाना सत्ताधारी आम आदमी पार्टी की राजनीतिक हताशा का परिणाम है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा है की दिल्ली नगर निगम के चुनाव का नतीज़ा आने के तीन माह बाद भी आम आदमी पार्टी एव उसकी दिल्ली सरकार ना तो चुनाव नतीजे स्वीकार पा रही है और ना ही यह स्वीकार पर रही है की नगर निगम एकीकरण के बाद दिल्ली नगर निगम एक्ट में बदलाव हो गये हैं और अब एक्ट में सरकार शब्द का मतलब दिल्ली सरकार नही केन्द्र सरकार है।
असल मे आम आदमी पार्टी जब दिल्ली नगर निगम चुनाव लड़ने उतरी तो वह 2015 एवं 2020 विधानसभा चुनाव जैसे नतीजे की उम्मीद रखती थी और सोचती थी की उसे 250 वार्ड के निगम में 225 तक वार्ड मिलेंगे पर जब नतीज़ा आया तो उन्हे मात्र 134 वार्ड मिले जिसके चलते आम आदमी पार्टी नेता लगातार छटपटा रहे हैं।
चुनाव नतीजे भी कुछ तरह आये हैं जिनके चलते नगर निगम के 12 जोनों में अधिकांश में आम आदमी पार्टी के पास बहुमत नही है और माननीय उपराज्यपाल महोदय ने परिवर्तित एक्ट अनुसार जो एल्डरमैन नामांकित किये हैं उसके चलते निगम जोनों मे आम आदमी पार्टी का सत्ता समीकरण पूरी तरह बिगड़ गया है अतः हताश आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार किसी भी तरह नामांकित एल्डरमैनों को नगर निगम सदन से बाहर रखना चाहती है।