बजाते रहो न्यूज़
दिल्ली नगर निगम का ज्यादातर काम वित्तीय संकट के नाम पर ठप पड़ा है।अब चाहे निगमकर्मियों की तनख्वाह की बात हो चाहे पेंशन धारकों की पेंशन और उनके रिटायरमेंट बेनिफिट्स की बात हो पेमेंट के नाम पर हर महीने ही एमसीडी का रोना जारी रहता है। निगमकर्मी अपनी तनख्वाह को लेकर हर महीने ही दर दर भटकने को मजबूर है।
इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आई है जिसे सुनकर सभी के होश उड़ गए है। बता दें कि निगम में बैठी आप सरकार और अधिकारियों के नाक के नीचे बीते कई सालों से करोड़ों रुपये की रिश्वतखोरी का कार्य बिना किसी डर के बदस्तूर जारी है।
मामला दिल्ली के सी -17 शिवाजी मार्ग, नजफगढ़ रोड ,मोती नगर में स्थित “द फाल्कन” बैंकेट हाल का है जो बीते कई सालों पहले ही सील होने के बावजूद आजतक धड़ल्ले से चल रहा है।
दिल्ली नगर निगम के बिल्डिंग विभाग, पब्लिक हेल्थ और प्रॉपर्टी टैक्स विभाग की कार्यशैली पर तमाम सवाल उठ रहे है। इस मामले से जुड़े जो दस्तावेज बजाते रहो न्यूज़ को मिले हैं वो निगम में बैठे अधिकारियों के पोल खोल रहे है…
1. एमसीडी ,करोल बाग जोन डीसी द्वारा बीते 16 नवंबर 2017 से लगातार नोटिस भेजा जा रहा है कि द फाल्कन बैंकेट का बसेमेंट ,ग्राउंड, फर्स्ट और सेकंड फ्लोर पूरी तरीके से सारे नियम कानून को ताख पर रखकर बनाया गया है।
2 अगला नोटिस ये है कि इस संपत्ति का कॉन्वेर्ज़न टैक्स भी अभी तक नहीं जमा कराया गया है।
3 लगभग 4 साल बीत गए हैं लेकिन दिल्ली सरकार के फायर विभाग से एनओसी भी नहीं ली गई।
4 इस बैंकेट हाल में जो शराब परोसी जा रही है उसके लिए भो कोई लाइसेंस नहीं बनवाया गया है।
5 पार्किंग को लेकर ट्रैफिक पुलिस से भी परमिशन नहीं ली गई है।
इनमें से सबसे ज़रूरी बात ये है कि बीते 7 अक्टूबर 2021 को इस तीन मंजिला बैंकेट हाल को पूरी तरह से सील कर दिया था।
लेकिन सील होने के बावजूद एमसीडी के आला अधिकारियों की मिली भगत से लाखों रुपये रिश्वत लेकर इस बैंकेट हाल को आजतक चलाया जा रहा है। जिसमें सिविक सेन्टर में बैठे सभी संबंधित आला अधिकारियों से लेकर करोल बाग जोन के अधिकारी भी सवालों के घेरे में आ चुके है।
इस बड़े मामले को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, मुख्य सचिव नरेश कुमार, दिल्ली नगर निगम के आयुक्त ज्ञानेश भारती के अलावा दमकल विभाग के निदेशक अतुल गर्ग सहित सीवीसी और एंटी करप्शन विभाग को भी लिखित में शिकायतें दी जा चुकी है लेकिन अभी तक इस पूरे मामले पर कार्रवाई करने की जगह मामले को ठंडे बस्ते में डालने का प्रयास जारी है।