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*यमुना तट पर खड़े होंगे एक लाख लोग, साफ रखने की लेंगे शपथ*
—यमुना संसद के बैनर तले वजीराबाद से कालिंदी कुंज तक बनेगी मानव श्रृंखला, यमुना की अविरलता और निर्मलता में समाज की भागीदारी सुनिश्चित की कोशिश
—पर्यावरणविदों, वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों समेत आम लोगों की टीम ने की 22 किमी तक यमुना के फ्लड प्लेन की यात्रा, नजदीक से हुए रूबरू, समाजिक भागीदारी तय करने के लिए तैयार कर रहे रिपोर्ट
—-दिल्ली को यमुना के प्रति संवेदी बनाने के लिए चार महीने से चल रहा बड़ा जागरूकता अभियान, हर तबके तक पहुंचाई जा रही यमुना की पीड़ा
नई दिल्ली
दिल्ली में यमुना तट पर 4 जून, 6:30 बजे 22 किमी लंबी मानव श्रृंखला बनाई जाएगी. वजीराबाद से कालिंदी के बीच करीब एक लाख लोग एक-दूसरे का हाथ थामकर खड़े होंगे. यमुना की मौजूदा स्थिति से रूबरू होने के साथ वह अपने स्तर पर यथासंभव यमुना जी का अविरल व निर्मल रखने की शपथ भी लेंगे. यमुना संसद के बैनर तले बनने वाली मानव श्रृंखला का मकसद दिल्ली की जीवन रेखा यमुना के प्रति दिल्ली के लोगों को संवेदनशील बनाना और उनको इस दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करना भी है. इससे पैदा हुई ऊर्जा को आगे यमुना की स्वच्छता में लगाया जाएगा.
यमुना संसद के संयोजक रविशंकर तिवारी ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि यह दिल्ली के लोगों को यमुना जी की मौजूदा स्थिति के प्रति संवेदनशील बनाने की अब तक की सबसे बड़ी मुहिम है. हमारे संरक्षक माननीय गोविंदाचार्य का हर कदम पर मार्गदर्शन मिल रहा है. जल पुरुष राजेंद्र सिंह, पर्यावरणविद रवि चोपड़ा, यमुना जिए अभियान के मनोज मिश्रा, जल जन जोड़ो अभियान के संयोजक संजय सिंह, केंद्रीय विश्वविद्यालय पटना के प्रो. रामकुमार सिंह, दिल्ली विश्वविद्यालय के एनवायरमेंटल साइंस के विशेषज्ञ इसका तकनीकी पक्ष देख रहे हैं. एक रिपोर्ट भी तैयार हो रही है. यह तीन दिन की हम लोगों की पैदल यात्रा के दौरान का आकलन है. लक्ष्मी बाई कॉलेज के प्राचार्य प्रो. प्रत्यूष वत्सला जी दिल्ली विश्वविद्यालय के अलग-अलग कॉलेज के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं. संगीत के सोपोर घराने के हस्ताक्षर पंडित अभय सोपोरी जी कल्चरल कम्युनिटी में यमुना जी की बात पहुंचा रहे हैं. रोटी बैंक के संचालक राजकुमार भाटिया, नदी संवाद के जीव कांत झा जी, राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के विवेक त्यागी जी व अरविंद तिवारी जी, युवा हल्ला बोल के राष्ट्रीय सचिव प्रशांत कमल जी और उनकी टीम 22 किमी के जुटान व क्राउड मैनेजमेंट पर काम रहे हैं. 22 किमी को आठ हिस्से में बांटकर हर हिस्से का जिम्मा एक-एक लोगों को दिया गया है. यह अपनी टीम के साथ जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं. सबसे अहम बात यह कि इतना बड़ा जुटान एक दिनी आयोजन बनकर न रह जाए, उसकी चिंता हमारे मेंटर व आईआईटी एलुमनी काउंसिल के अध्यक्ष रवि शर्मा जी कर रहे हैं.
अब आते हैं अभी तक की प्रगति पर. जिसके भरोसे हम लोग दावा कर रहे हैं कि एक लाख लोग यमुना तट पर पहुंच रहे हैं. यमुना संसद पूरी दिल्ली में बीते चार महीने के सघन जागरूकता अभियान चला रहा है. जनवरी मध्य से हम लोगों ने इस पर काम करना शुरू किया है. इस बीच सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से तो मुलाकात हुई ही है, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, वाणिज्यिक, व्यापारिक संस्थाओं के साथ भी संवाद बना है. नाम गिनाना यहां संभव नहीं होगा, लेकिन अभी तक करीब एक हजार संस्थाओं का समर्थन पत्र मिला है. इसमें किसी ने दस तो किसी ने सौ, हजार, दस हजार तक लाने का वादा किया है. बड़ी संख्या निरंकारी समाज, अखिल विश्व गायत्री परिवार, परमार्थ निकेतन, नामधारी समाज, दिल्ली सिख गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी, जमीयत-उलेमा-ए-हिंद, अखिल भारतीय इमाम संघ, पब्लिक स्कूल एसोसिएशन, दिल्ली विश्वविद्यालय के अलग-अलग कॉलेज के छात्र, चांदनी चौक की तकरीबन सभी बड़ी बाजारों की एसोसिएशन, रेहड़ी पटरी वालों की एसोसिएशन, दिल्ली पंचायत संघ, खाप पंचायत, छठ पूजा समितियों आदि से है. इसमें से कई संस्थाओं के प्रतिनिधि हमारे साथ मौजूद भी हैं. और हां, जब वो लोग भागीदारों की संख्या पर वायदा कर रहे थे तो हमने स्पष्ट तौर पर कह दिया था कि भाई, नंबर उससे दो-चार कम ही बताना, जितना ला पाने का आपको भरोसा हो. बार-बार इस पर सबसे सवाल किया हूं और कर भी रहा हूं. तो इसमें कई साथियों ने संख्या घटाई भी है.
पहले दौर का संपर्क अभियान अप्रैल में खत्म हो गया है. अब हम लोगों ने 22 किमी के दायरे में जिन आठ प्वाइंट्स की पहचान की है और जो यमुना जी तक पहुंचने के इंट्री व एग्जिट प्वाइंट हैं, वहां ट्रायल कर रहे हैं. वजीराबाद, लोहे का पुल व गीता कालोनी पर ट्रायल हो गया है. रविवार 14 मई की सुबह आईटीओ पर ट्रायल होगा. इसी दौरान यहां बाइक रैली निकलेगी, जिसमें करीब 70 बाइकर्स शामिल हो रहे हैं. शाम को दूसरा ट्रायल कालिंदी कुंज में होगा. इसी तरह आने वाले दिनों में उस्मानपुर पुश्ता, निजामुद्दीन व डीएनडी पर भी ट्रायल होगा. इसमें अपनी तैयारियों को परखा जा रहा है.
राष्ट्रवादी चिंतक व यमुना संसद के संरक्षक केएन गोविंदाचार्य ने कहा कि यमुना जी की अविरलता का जो मुद्दा है उसमें हथिनी कुंड बैराज से बारिश के अलावा पानी की निकासी का है. हम जिसे ई-फ्लो कहते हैं, उसमें नदी का अपना करीब 70 फीसदी पानी नदी में बहने देना चाहिए. तीस फीसदी पानी ही हम पीने, सिंचाई सरीखी अपनी दूसरी जरूरत के लिए ले सकते हैं. लेकिन आप गर्मी या सर्दी में देखेंगे तो बैराज के बाद पानी न के बराबर दिखेगा. जबकि 2016 में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी, रूढ़की के विशेषज्ञों की जो टीम एनजीटी ने गठित की थी, उसकी सिफारिश है कि न्यूनतम 23 cumec (cubic metre per second) या 800 cubic feet per second पानी हथिनीकुंड से छोड़ा जाना चाहिए. इसे अभी तक हथिनी कुंड से अपेक्षित पानी के बंटवारे के समझौते में शामिल नहीं किया गया है. यह संयोग है कि यूपी, हरियाणा, उत्तराखंड, दिल्ली व राजस्थान के बीच हुए इस समझौते का चूंकि 2024 में रिव्यू होना है तो कमेटी की सिफारिश को इसमें शामिल किया जाना चाहिए.
दिल्ली में अभी भी सीवर लाइन की सही व्यवस्था नहीं है. मल मूत्र शोधन संयंत्र (एस.टी.पी.) भी सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं. नजफगढ़ नाले के मिलने के बाद से ही यमुना जी इकोलॉजिकली डेड हो जाती है. आगे भी ओखला तक इसमें एक के बाद एक दूसरे नाले गिरते जाते हैं. सबकी दशा कमोवेश एक सी है. यह नहीं होना चाहिए. इसका एक कानून बने, जिससे शोधन के बगैर नाले या ड्रेनेज के गंदे पानी को नदी में डालने के लिए स्थानीय नगरपालिका, विधायक और सांसद की जवाबदेही तय की जाए. नालों की गाद और गंदे पानी के इस्तेमाल से नदियों के किनारे सघन वृक्षारोपण हो सकता है. और वृक्षारोपण के दौरान स्थानीय पौधों को वैज्ञानिक तरीके से लगाया जाए. ऐसा न हो कि एक्टिव फ्लड प्लेन में यूकेलिप्टस सरीखे पानी सोखने वाले वृक्ष लगा दिए जाएं.
एक सवाल यमुना जी के फ्लड प्लेन का भी है. इसको अतिक्रमण से बचाने के लिए अतिक्रमण करने वालों के साथ अतिक्रमण होने के दौरान तैनात अधिकारियों की भी जवाबदेही तय की जाए. फिर, विकास के नाम पर चल रही सरकारी परियोजनाओं में पक्के निर्माण और कांक्रीटीकरण से नदियों के किनारे पानी का कैचमेंट एरिया खत्म हो रहा है. ऐसी सभी योजनाओं को बंद करके उस पैसे से नदियों की गाद निकालने और सफाई का काम हो.
यह और इसी तरह के दूसरे बहुत से मुद्दे हैं, जिन पर यमुना संसद समाज को सजग कर रही है. जनता जागरूक होगा तो वह खुद अपने स्तर पर यमुना जी को गंदा तो नहीं ही करेगी, अपनी नदी की वह निगरानी भी करेगी. और 4 जून, सुबह 6:30 बजे एक लाख लोगों के जुटान का जो यमुना संसद का संकल्प है, उससे नदी की अविरलता व निर्मलता का विषय राजनीतिक विमर्श के केंद्र में भी आएगा. समाज सत्ता की सक्रियता से राज सत्ता भी सजग होगी. ऐसा होने की सूरत में दिल्ली से नदी को लेकर उठी आवाज पूरे देश के लिए उत्प्रेरक का काम करेगी.
रवि शर्मा ने 4 जून के बाद की यमुना संसद के कामों पर विस्तार से चर्चा की. रवि शर्मा के मुताबिक, हथिनीकुंड से पानी छोड़ने व सीवेज को साफ करके ही यमुना नदी में डालने के बारे में यमुना संसद लगातार सरकार से संवाद करेगी. वहीं, समाज के स्तर पर जो कुछ हो सकता है, उसके लिए वह काम भी करेगी. इसमें एक अहम चीज यमुना के तट पर बायोडायवर्सिटी पार्कों का विकास है. एनजीटी ने अपने तीन अलग-अलग फैसलों में इसका जिक्र किया है. नजीर इसमें वजीराबाद स्थित यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क की दी है. यमुना संसद की एक टीम ने इस पार्क का दौरा किया और उसकी हकीकत जानी. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि उसके नतीजे काफी बेहतर रहे हैं. इसके बाद हम लोगों वजीराबाद से कालिंदी कुंज के बीच यमुना के फ्लड प्लेन की दो-दो बार पैदल यात्रा की. यमुना संसद की यह जो स्टडी है, उसके हिसाब से पल्ला से जैतपुर के बीच करीब 9,000 हेक्टेयर का यमुना का फ्लड प्लेन है. अगर 200 हेक्टेयर में एक पार्क विकसित किया जाए तो दिल्ली में यमुना तट पर 15-20 पार्क बनाए जा सकते हैं. यमुना संसद चार जून के बाद इस दिशा में गंभीरता से काम करेगी. इस दौरान प्रत्यूष वत्सला ने युवाओं के बीच चलने वाले अलग-अलग जागरूकता कार्यक्रमों की जानकारी दी. प्रेस कॉफ्रेंस में यमुना संसद का थीम सांग भी पेश किया गया. इसकी रचना प्रो. प्रत्यूष वत्सला ने की है. और संगीत व आवाज पंडित सोपोरी ने दिया है.